उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी ने की प्रवासी उत्तराखण्डियों से अपनी जन्म भूमि के किसी दुर्गम क्षेत्र के गांव को गोद लेने की अपील, उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ़ सिंगापुर के प्रेसिडेंट ने कहा उत्तराखंड कल्चर को प्रमोट करना हमारी प्राथमिकता है जिनके लिए मैं मुख्यमंत्री धामी का धन्यवाद करता हूं

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में विभिन्न देशों में निवास कर रहे प्रवासी उत्तराखण्डियों से वर्चुअल संवाद करते हुए उन्हें विदेशों में उत्तराखण्ड का ब्रांड अम्बेसडर बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी उत्तराखण्ड वासियों ने अपनी मेहनत, लगन एवं बौद्धिक क्षमता से उत्तराखण्ड के बाहर देश-विदेश में अपनी पहचान बनायी है। उन्होंने सभी से अपेक्षा की कि वे अपनी जन्म भूमि के किसी दुर्गम क्षेत्र के गांव को गोद लेकर उसके समग्र विकास में सहयोगी बनें। इसमें राज्य सरकार भी सहयोगी रहेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी उत्तराखण्डवासियों के सहयोग एवं सहायता के लिये पूर्व में प्रवासी सेल बनाया गया था। इसे और अधिक सुविधा युक्त बनाये जाने के लिये प्रवासी उत्तराखण्ड बोर्ड का भी गठन किया जायेगा। साथ ही प्रवासी भारतीय दिवस की भांति राज्य में देश व विदेशों में रहने वाले प्रवासियों का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा ताकि उनके विचार एवं सुझावों पर चिन्तन एवं मनन किया जायेगा। इस मंथन से निकलने वाला अमृत निश्चित रूप से देश व प्रदेश के विकास में फलीभूत होगा।

संवाद के दौरान मुख्यमंत्री ने आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस सहित 12 देशों में रह रहे 22 प्रवासी उत्तराखण्डियों के विचार व सुझाव जाने। मुख्यमंत्री ने सभी के सुझावों पर आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन देते हुए प्रदेश हित में संचालित योजनाओं की जानकारी भी साझा की। सभी प्रवासियों ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, सूचना तकनीकि आदि के क्षेत्र में सहयोग का भी आश्वासन मुख्यमंत्री को दिया। सभी प्रवासी लोग अपने पैतृक क्षेत्रों से जुड़ने के लिये भी उत्साहित नजर आये ताकि उनकी भावी पीढ़ी भी अपनी जड़ों से जुड़ सके।

संवाद के दौरान जिन्होंने अपने सुझाव रखे उनमें आस्ट्रेलिया से सुरेन्द्र सिंह रावत, न्यूजीलेण्ड से जोत सिंह बिष्ट, चीन से देव रतूड़ी, अमेरिका से शैलेश उप्रेती, जापान से इंदिरा भट्ट, यू.के. से मनीष जुगराण, थाइलेंड से चन्द्र शेखर सिलोड़ी, सिंगापुर से सुनील थपलियाल, फ्रांस से उत्तम रावत, ओमान से राकेश बेलवान प्रमुख रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब राज्य का युवा रिवर्स माइग्रेशन की ओर बढ़ रहा है। स्वरोजगार के प्रति ध्यान दे रहा है। इसके लिये राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनायें भी संचालित की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में आयोजित वैश्विक निवेश सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के उद्यमियों ने प्रतिभाग कर प्रदेश में उद्योग व व्यापार इच्छा जताई है। अब तक 71 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य में भी उद्योग की स्थापना से युवां को रोजगार के और अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री ने प्रवासियों से अपेक्षा की कि देवभूमि उत्तराखण्ड आपके पूर्वजों की पैत्रिक भूमि है। आपकी भावी पीढ़ी भी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे इसके लिये भी प्रयासरत रहने की उन्होंने जरूरत बतायी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश व दुनिया में भारत का मान, सम्मान बढ़ा है। भारतीयों को विदेशों में आदर व सम्मान से देखा जा रहा है। कोरोना महामारी के बावजूद देश की अर्थ व्यवस्था 11 वीं से 5वी में रही। प्रधानमंत्री श्री मोदी के तीसरे काल में भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इसमें आप सभी का भी योगदान रहेगा।

इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी प्रवासियों का अलग-अलग टाइम जोन में रहते हुए संवाद से जुड़ने के लिये सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि सभी प्रवासी विकसित भारत के साथ विकसित उत्तराखण्ड में अपना योगदान दें। उन्होंने इस संवाद श्रृंखला को आगे भी जारी रखने की बात कही।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, सचिव शैलेश बगौली, विनय शंकर पाण्डेय, नीरज खैरवाल, उत्तराखण्ड प्रवासी प्रकोष्ठ के सदस्य सुधीर नौटियाल के साथ सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री एवं समस्त उपस्थित प्रवासी उत्तराखंडवासीओ को मेरा सादर नमस्कार| सर्वप्रथम मैं मुख्यमंत्री धामी का धन्यवाद करना चाहता हूँ कि उन्होंने विश्व में रह रहे उत्तराखंड वासियों को एक मंच पर लाने की एक नई प्रशंसनीय शुरुआत की है, उसके लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद। मैं हरीश पंत वर्तमान में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ़ सिंगापुर का प्रेसिडेंट हूँ, 30 वर्षों से सिंगापूर में कार्यरत हूँ , उत्तराखंड ऑफ़ सिंगापुर एक रजिस्टर्ड असोसिएशन है विशेष रूप से उत्तराखंड कल्चर को प्रमोट करना हमारी प्राथमिकता है, समय समय पर सिंगापुर में कोतिक, होली, दिवाली का आयोजन समस्त उत्तराखंडी मिलकर करते हैं, साथ ही उत्तराखंड के कलाकारों को सांस्कृतिक मंच प्रदान करते हैं
महोदय ज़्यादा समय न लेते हुए कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा|
१. संपूर्ण उत्तराखंड को टूरिज़्म के लिए विकसित करना और इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने लोगों को शिक्षित करने आवश्यकता है की अतिथि देवो भव का भाव हर क्षेत्र में होना आवश्यक है चाहे वो हमारी लोकल ट्रांसपोर्ट, हमारे व्यापारी, हमारे उत्तराखंड के अपने लोग। क्योंकि पहला कांटेक्ट किसी भी अतिथि का यदि होता है तो वह हमारे अपने उत्तराखंड की जनता से होता है और वो किस प्रकार अतिथि का सत्कार करते है उस से ही अतिथि के दिमाग में उत्तराखंड की एक पिक्चर (IMAGE) बनने लगती है।

२. मेरा अनुभव रहा है, जब भी मैं पहाड़ जाता हूँ वहाँ की सबसे बड़ी पीड़ा आज के समय में बंदरों की अधिकता है, बाहर की तो बात छोड़िए वो दिन में घर के अंदर से भी सारा सामान खा जाते हैं और रात को सुअरो का आतंक, उनकी संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, इस कारण से लोगो के खेत बंजर होते जा रहे है और ये एक बड़ी समस्या पलायन का भी कारक बनता जा रहा है, यदि इस समस्या पर वैज्ञानिक तरीक़े से कार्य किया जाए तो इस समस्या पर नियंत्रण किया जा सकता है ।

3. तीसरा प्वाइंट, मेरा व्यक्तिगत मानना है कि हमारे जितने भी ज़िले हैं वहाँ तक तो योजनाएं जाती हैं लेकिन जो ज़िलों दूर दराज़ के इलाक़े हैं विशेष रूप से हमारी जो जिले 1 दूसरे से मिलते हैं जैसा कि चमोली अल्मोड़ा, पोडी अल्मोड़ा, पौड़ी नैनीताल, उत्तरकाशी टिहरी और अन्य ज़िले दूरस्थ स्थान है इनमें अभी बहुत कुछ करना बाक़ी है टूरिज़्म की दृष्टि से भी, शिक्षा के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं और मेडिकल फ़ैसिलिटी की दृष्टि से दूरस्थ इलाक़े वंचित हैं । आने वाले भविष्य में इन कुछ बिंदुओं पर यदि सरकार और प्राइवेट कंपनियां मिलकर कुछ योगदान करें तो उत्तराखंड का भविष्य और सुनहरा हो सकता है ।

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