उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी ने माफियाओं पर लगाई लगाम, वसूला ₹74Cr का जुर्माना

देहरादून : उत्तराखंड में खनन जैसे विवादित क्षेत्र में भी पारदर्शिता और साफ नीयत से बड़े बदलाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सच कर दिखाए हैं। उत्तराखंड की खनन नीति अब सिर्फ एक प्रशासनिक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक मॉडल बन चुकी है, जिसे दूसरे राज्य भी समझना और अपनाना चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल इस नीति का अध्ययन करने पहुंचा, जो बताता है कि ‘धामी मॉडल’ अब चर्चा का विषय बन चुका है।

खनन में रिकॉर्ड कमाई:

पहले 300 करोड़, अब 1100 करोड़ के करीब! पिछले कुछ सालों में खनन से जुड़ी कमाई में चार गुना इजाफा हुआ है। पहले: हर साल लगभग 300 से 335 करोड़ रुपये का राजस्व अब: 2024-25 में 1025 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली लक्ष्य: जल्द ही 1100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करना ये सब ई-टेंडरिंग, ई-नीलामी और कड़ा प्रशासनिक नियंत्रण जैसे सुधारों की वजह से मुमकिन हुआ है।

खनन माफियाओं पर लगाम:

अब डरते हैं कानून से जहां पहले खनन माफियाओं का बोलबाला था, वहीं अब सरकार ने 74.22 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला, जो पहले सिर्फ 18 करोड़ रुपये था। सख्ती का असर दिख रहा है – गलत करने वालों पर कार्रवाई और ईमानदारी से काम करने वालों को सुरक्षा।

प्राकृतिक और सांस्कृतिक संतुलन भी बरकरार

सीएम धामी ने खनन नीति बनाते समय सिर्फ राजस्व नहीं, पर्यावरण और संस्कृति का संतुलन भी सुनिश्चित किया। नदी-नालों की सफाई और संरक्षण स्थानीय लोगों की आजीविका को नुकसान न हो पवित्र स्थलों और धार्मिक महत्व वाली जमीनों पर खास ध्यान इसलिए इसे अब सिर्फ खनन नीति नहीं, बल्कि एक समग्र विकास मॉडल के रूप में देखा जा रहा है।

क्यों खास है ‘धामी मॉडल’?

पारदर्शिता: हर प्रक्रिया ऑनलाइन प्रबंधन: हर जिले में मॉनिटरिंग सिस्टम दृढ़ संकल्प: गलत को बर्दाश्त नहीं प्रेरणा: दूसरे राज्य भी सीखने आए

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